Dil Ke Compartment
पढाया था स्कुल मै, दिल के हिस्से होते है, दांया बाया जिन्हें कहते है |
उम्र बीत गई आधी तो विज्ञान ये… समझ आया है,
जिन्हें हम अलग अलग हिस्से कहते है,
अलग अलग उनमे रिश्ते रहते है,
हां…. हो जाती है मजबूरियां ऐसी,
साथ रह नहीं सकते,
रिश्ते फिर भी निभाने पड़ जाते है,
दिलो मे कम्पार्टमेंट से
बनाने बनाने पड़ जाते है,
पटरियां वही हैं दोनों,
गाडी को भी चलना उन्ही पर होगा,
क्या करे मुसाफिर अगर मंजिले जुदा हो जाती हैं
उलझा हुआ सा रिश्ता है ये कुछ ऐसा,
की कल कुछ नहीं था तेरे मेरे बीच में,
और आज कुछ भी नहीं है तेरे मेरे बीच में
लेकिन सफ़र ये यूंही काटना होगा,
किसीसे नफ़रत लेकर किसीको प्यार देना होगा,
दिल एक ही है मेरा लेकिन अब कम्पार्टमेंट मे इसे बांटना होगा |